Tuesday, June 15, 2010

किशोरावस्था की समस्याएं

 किशोरावस्था एक ऐसी संवेदनशील अवधि है जब व्यक्तित्व में बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। वे परिवर्तन इतने आकस्मिक और तीव्र होते हैं कि उनसे कई समस्याओं का जन्म होता है। यघपि किशोर इन परिवर्तनों को अनुभव तो करते हैं पर वे प्राय: इन्हें समझने में असमर्थ होते हैं। अभी तक उनके पास कोई ऐसा स्रोत उपलब्ध नहीं है जिसके माध्यम से वे इन परिवर्तनों के विषय में वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त कर सकें। किन्तु उन्हें इन परिवर्तनों और विकास के बारे में जानकारी चाहिए, इसलिये वे इसके लिए या तो सम-आयु समूह की मदद लेते हैं, या फिर गुमराह करने वाले सस्ते साहित्य पर निर्भर हो जाते हैं। गलत सूचनाएं मिलने के कारण वे अक्सर कई भ्रांतियों का शिकार हो जाते हैं जिससे उनके व्यक्तित्व विकास पर कुप्रभाव पड़ता है।

किशोरों को इसलिये भी समस्याएं आते है क्योंकि वे विपरीत लिंग के प्रति एकाएक जाग्रत रुचि को ठीक से समझ नहीं पाने। माँ बाप से दूर हटने की प्रवृति और सम-आयु समूह के साथ गहन मेल-मिलाप भी उनके मन में संशय और चिंता पैदा करता है। किन्तु परिजनों के उचित मार्गदर्शन के अभाव में उन्हें सम-आयु समूह की ही ओर उन्मुख होना पड़ता है। प्राय: देखा गया है कि किशोर सम-आयु समूह के दबाव के सामने विवश हो जाते हैं और उन में से कुछ तो बिना परिणामों को सोचे अनुचित कार्य करने पर मजबूर हो जाते हैं। कुछ सिगरेट, शराब, मादक द्रव्यों का सेवन करने लगते हैं और कुछ यौनाचार की ओर भी आकर्षित हो जाते हैं और इस सब के पीछे सम-आयु समूह का दबाव आदि कई कारण हो सकते हैं।

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