Wednesday, June 16, 2010

किशोरावस्था की प्रवृतियां एवं लक्षण

 मानव विकास की चार अवस्थाएं मानी गयी हैं बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था और प्रौढावस्था। यह विकास शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप में होता रहता है। किशोरावस्था सबसे अधिक परिवर्तनशील अवधी है। किशोरावस्था के निम्लिखित महत्वपूर्ण लक्षण इसकी अन्य अवस्थाओं से भिन्नता को प्रकट करते हैं-

क)   शारीरिक परिवर्तन
किशोरावस्था में तीव्रता से शारीरिक विकास और मानसिक परिवर्तन होते हैं। विकास की प्रक्रिया के कारण अंगों में भी परिवर्तन आता है, जो व्यक्तिगत प्रजनन परिपक्वता को प्राप्त करते हैं। इनका सीधा सम्बन्ध यौन विकास से है।

ख)   मनौवैज्ञानिक परिवर्तन
किशोरावस्था मानसिक, भौतिक और भावनात्मक परिपक्वता के विकास की भी अवस्था है। एक किशोर, छोटे बच्चे की तरह किसी दूसरे पर निर्भर रहने की उपेक्षा, प्रौढ़ व्यक्ति की तरह स्वतंत्र रहने की इच्छा प्रकट करता है। इस समय किशोर पहली बार तीव्र यौन इच्छा का अनुभ करता है, इसी कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित रहता है। इस अवस्था में किशोर मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है यह अवस्था अत्यंत संवेदनशील मानी गयी है।

ग)   सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन
किशोरों में सामजिक-सांस्कृतिक मेलजोल के फलस्वरूप कुछ और परिवर्तन भी आते हैं। सामान्यता: समाज किशोरों की भूमिका को निश्चित रूप में परिभाषित नहीं करता। फलस्वरूप किशोर बाल्यावस्था और प्रौढावस्था के मध्य अपने को असमंजस की स्थिति में पाते हैं। उनकी मनौवैज्ञानिक आवश्यकताओं को समाज द्वार महत्व नहीं दिया जाता, इसी कारण उनमें क्रोध, तनाव एवं व्यग्रता की प्रवृतिया उत्पन्न होती हैं। किशोरावस्था में अन्य अवस्थाओं की उपेक्षा उत्तेजना एवं भावनात्मकता अधिक प्रबल होती है।

 

No comments:

Post a Comment